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Tuesday 30 October 2012

दो शब्द : ज़िन्दगी के ... Entry by Abhinav Mishra, IMT Ghaziabad

आखिर वो रौशनी कहाँ है, जिसको युवा ढूंढ रहा है
Rat-Race में फसा हुआ है , internet में धसा हुआ है

दिखावटी जग मग में शायद , वो खुद को ही भूल रहा है
धुंद नशे, गांजे की रेशमी झूले में वो झूल रहा है
 
disco जाना भी है ज़रूरी , और शराब पीना मजबूरी
smoke , dope पे है आधारित , व्यक्तित्व का मापदंड भी

अंग -प्रदर्शन की होड़ लगी हो , ऐसा लागे हर युवा को
कपडे जितने कम पहने हो , सामाजिक स्टर उतना ऊँचा हो

बड़ों का आदर , छोटों को दुलार , अब तो लगे down - market यार
तू-तड़ाक , सबसे मज़ाक, लगे अच्छे इन्हें पश्चिमी संस्कार

नित affair की बातें करते, इश्क मोहब्बत खेल से लगते
Flip -Flops से हैं सारे रिश्ते , पल में बनते झट से बिगड़ते

सदियों से चली आ रही परम्पराएं , विलुप्त होने की कगार पर खड़ी हैं
सामाजिक नियमों को बंधन कहके मिटाने में ये पूरी पीढ़ी पड़ी हैं

आज का युवा , कठिनाईयों से लड़ने के तो काबिल है
पर computer के घोर असर से , उपकरण बना उसका दिल है

मंजिल को जल्द पाने की आपा धापी में , रास्ते का लुत्फ्ज़ उठाना ही भूल चूका है
ढोंग ढकोसले की चका -चौंध से भ्रमित , सात्विकता से जीना ही भूल चूका है !!

ऐसी कौनसी "SUCCESS" पानी है, ऐसे किस "CAREER" में जाना है
ऐसा क्या है इन दो शब्दों में, के हर युवा इनका दीवाना है !!!

1 comment:

  1. Awesome !! bhai truly today's generation!
    good to see u have such noble thoughts !!

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