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Tuesday, 30 October 2012

गौशाला में घास डालने…Entry by Charchit Joshi, NMIMS Mumbai


गौशाला में घास डालने
वो घस्यारन आई थी
पतली कमर और बाली उमर
जो उसने सृष्टी से पायी थी

व्याकुल हो आया ये मन
ऐसी वह परछाई थी
मन ही मन एक आह उठी
जो उसने ली अंगडाई थी

शब्दों की उस किल्लत में
खुद को असहाय पाया मैंने
आँखों की एक झलक दिखाकर
हल्का सा मुस्काया मैंने

पलकों पर एक रोष लिए
वो पलट कर भागी थी
परन्तु जाते जाते अचानक 
मुढ़कर वो मुस्काई थी

गौशाला में घास डालने
हाय !! वो घस्यारन आई थी

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