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Tuesday 30 October 2012

प्रियतम ... Entry by Niraj Kumar Singh School Of Management,KIIT University Bhubaneswar

ऐ प्रियतम!
ऐ सितमगर!
ऐसे न तडपाओ मुझे,
ऐसे न रुलाओ मुझे.

मुझे प्यार है बेंतहा तुझसे,
मुझे इंतज़ार है तुम्हारा कबसे
तुम कब आओगी?
घने,कोहरे,काले मेघ जैसे
अपना प्यार बरसओगी.

ऐ जुल्मी! क्या तुम्हे पता नहीं,
या तुम्हे खबर नहीं,ऐ बेरहमी.
तेरे प्यार का कयाल हूँ मैं,
तेरे प्यार में घायल हूँ मैं.

अब तो 'मेघदूत' बन,
या 'अग्रदूत ' बन.
हमको भी तो प्यार कर,
कभी तो इज़हार कर.

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