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Tuesday 30 October 2012

चाहा है कामयाबी... Entry by T Pranay, Symbiosis Institute of Telecom Management


चाहा है कामयाबी, ठाना है तो पा लेंगे,
इन मुश्किलों को हम हमराह बना लेंगे

तपिश का स्वाद नहीं होता है मीठा ,
टूटता है इंसान या बनता है सोना,
किस्मत नहीं बोता है यह फसल,
हिम्मत से है हौसला, मेहनत से है हासिल

चाहा है कामयाबी , ठाना है तो पा लेंगे

मंजिल सरहद ना खिंच पाया ,
कुचले मैंने कितने कांटे ,
कई तूफ़ान उठे,गए और आये,
पर हौसले बारिश भी ना भीगा पाए

चाहा है कामयाबी,ठाना है तो पा लेंगे

सपनो के रंग से हकीक़त है निचोड़ा,
डर के दहन से रोशन हुआ घर सारा,
अंधकार थी कल की कथा,
मैं आज सूरज से पहले उठा,

चाहा है कामयाबी, ठाना है तो पा लेंगे

4 comments:

  1. डर के दहन से रोशन हुआ घर सारा,
    अंधकार थी कल की कथा,
    मैं आज सूरज से पहले उठा,

    - The rising of sun is just after darkest night hour.. You summarized it in the last three lines of yours..Not a relative but absolutely nice effort of yours.

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