27 April 2012…5pm…drizzling…serene winds…annnnd…my last day with TCS friends. This is what my heart and mind was going through:
जब दिल ने
मुस्कराना चाहा,
दिमाग ने उसको
रोक के कहा,
ये पल ना
रहेगा, याद दिलाया,
फ़िर क्यूँ तू इसको
गले लगाने चला
आया |
दिल ने इस्पे
फ़िर एक आवाज़
उठायी,
ये पल ना
दुबारा आये,
फ़िर क्यूँ तू इसका
मूल्य समझ ना
पाये?
हसना है तो
हसने दे,
खिल खिलाना है तो
खिल खिलाने दे,
ये हैं मेरे
प्यारे दोस्त यार,
कहाँ मिलेंगे फ़िर इनके
साथ ये पल
दो-चार |
फ़िर जब दिल
ने मुस्कराना चाहा...
दिमाग भी उसको
रोक न पाया
||
मुह पे पढ़ी
बारिश की हर
उस बूँद के
साथ,
ये एहसास था कि
ये लम्हें शायद
ना रह पायें...तो क्या...
दोस्त हैं मेरे
पास, हर पल
हर साल, दिन
हो या रात,
हो जायेगी फ़िर एक
खुशियों कि इमारत
तैयार, जब भी
करेंगे बात |
हर हवा के
उस झोके के
साथ उस खुदा
को था शुक्रिया,
कि ऐसा भी
दिन है तूने
बनाया, जब तू
खुद भी मेरे
लम्हें चुरा ना
पाया |
ऐ खुदा, तुझसे है
एक और फरियाद,
आंसू ना टपके
एक भी मेरा...जब भी
करूँ दिन ये
याद,
चाहे कितने भी साल
बाद,
चाहे कितने भी साल
बाद ||
Too Good Yuvika!
ReplyDeleteAwesome..Just Out of dis world.. :)
ReplyDeleteGood One.. :)
awesome :)
ReplyDeletewowww!!!! tu mast poet bangayi hai!!! my god! so much u expressed so well!
ReplyDeleteThis is great...ATB Yuvika!!
ReplyDeleteNice one Yuvika..
ReplyDeletereal good1 yuvika..loved it :)
ReplyDeleteAwesome.. as always :):)
ReplyDeleteGreat work Yuvika...! All the best..!! :)
ReplyDeleteperfect
ReplyDeletegreat work..just amazing..!!
ReplyDeletegood one
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